ओडिशा में तीन ट्रेनें टकराईं, अब तक 70 यात्रियों की मौत, 350 जख्मी
किसी ने शादी के दहेज के पैसे पढ़ाई में लगाए, कहीं चायवाले की बेटी बनी अफसर, पढ़ें मजबूत हौसलों की कहानी
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) ने पीसीएस 2023 परीक्षा का रिजल्ट जारी कर दिया है।। 383 पदों के लिए हुई परीक्षा में 364 पदों पर अभ्यर्थियों को चयनित घोषित किया गया है। सभी सफल अभ्यर्थियों की अपनी ही संघर्ष की दास्तान है जो बहुत प्रेरणादायी है।
यूपी पीसीएस परीक्षा में सफल होने वाले अभ्यर्थियों ने बताया कि परीक्षा की तैयारी के लिए एकाग्रता बहुत जरूरी है। गोरखपुर में मुंडेरवा क्षेत्र के रामपुर रेवती निवासी सपना पांडेय परीक्षा में सफलता हासिल कर बीएसए बनी हैं। सपना वर्तमान में शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापिका हैं। एक बच्चे की मां सपना बताती हैं कि पारिवारिक जिम्मेदारी, नौकरी और बेटे की परवरिश के बाद बचे समय में ही तैयारी की।
वह बताती हैं कि इसके लिए उन्होंने कोई कोचिंग नहीं की, बल्कि खुद से ही नोट्स तैयार कर परीक्षा की तैयारी शुरू की। बताया कि लक्ष्य के प्रति एकाग्रता ही सफलता तय करती है। पाठ्यक्रम में शामिल विषयों को पढ़ें। बाजार में तमाम भ्रमित करने वाली किताबें उपलब्ध हैं। किताबों के चयन में किसी अनुभवी शिक्षक व परीक्षा उत्तीर्ण कर चुके लोगों से सलाह ले सकते हैं। हमने अलग से कुछ नहीं किया। वह अपनी सफलता का श्रेय पति शिवेंद्र पांडेय, ससुर रामसुख पांडेय और सास सुमन पांडेय को देती हैं।
मां के अंतिम संस्कार के बाद साक्षात्कार
मां की मौत के बीच साक्षात्कार देकर पीसीएस परीक्षा में सफलता का इतिहास अंबेडकरनगर के अकबरपुर निवासी श्रेया उपाध्याय ने रचा है। मां के पार्थिव शरीर के अंतिम क्रियाकर्म के अगले दिन ही उन्होंने अत्यंत मजबूत हौसले के साथ साक्षात्कार दिया। भावुक श्रेया ने कहा कि उनकी मां ने 2015 में यूपीएससी टॉपर रहीं टीना डाबी से प्रेरणा लेकर सफलता अर्जित करने को कहा था। मां की इस इच्छा को उन्होंने पूरा तो कर दिखाया लेकिन इसे देखने के लिए वह नहीं रहीं। अकबरपुर नगर में रहकर मोबाइल की दुकान चलाने वाले घनश्याम उपाध्याय की पुत्री श्रेया ने अत्यंत प्रतिकूल परिस्थितियों में पीसीएस परीक्षा उत्तीर्ण की है। उन्हें चौथे प्रयास में यह परीक्षा पास कर डीपीआरओ बनने में सफलता मिली है।
पिता की हो गई थी हत्या, 8 साल बाद बेटी बनी डीएसपी
डिलारी के पूर्व ब्लॉक प्रमुख योगेंद्र सिंह उर्फ भूरा की बेटी आयुषी सिंह ने दूसरे प्रयास में सफलता हासिल की। करीब आठ साल पहले भरी कचहरी में गोलियां बरसा कर पिता को मौत के घाट उतार दिया गया था। पिता की मौत का गम और परिवार की कोर्ट-कचहरी में दौड़भाग के बीच आयुषी ने तैयारी कर डिप्टी एसपी बनकर अपने पिता का सपना पूरा किया। मूलरूप से मुरादाबाद में भोजपुर के हिमायूंपुर गांव निवासी पूर्व ब्लॉक प्रमुख योगेंद्र सिंह उर्फ भूरा का परिवार आशियाना कॉलोनी में रहता है। आयुषी सिंह का कहना है कि अभी पहली सफलता हासिल की है। आईपीएस अफसर बनने तक प्रयास और संघर्ष जारी रहेगा। उनका कहना है कि वह ट्रेनिंग करने के बाद जहां भी तैनाती मिलेगी, वहां अपराध और अपराधियों पर नकेल कसेंगीं। महिलाओं के लिए ऐसा माहौल तैयार करेंगी, जिससे महिलाएं खुद को सुरक्षित महसूस कर सकें।
आयुषी का कहना है कि पिता का सपना था कि मैं अफसर बनूं। इसके लिए बचपन से ही मुझे अच्छी शिक्षा दी। जब पिता की हत्या की गई थी, उस वक्त में 11वीं में थी। आयुषी बोलीं, मैंने पिता के सपने को पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत की है।
चाय वाले की बेटी बनेगी जनकल्याण सशक्तीकरण अधिकारी
मेरठ की बेटी शिखा शर्मा को जिला जन कल्याण सशक्तीकरण अधिकारी का पद मिला है। उनके पिता शंकरदत्त शर्मा उर्फ गोपाल चाय बेचकर परिवार का लालन-पालन करते हैं। टीपी नगर क्षेत्र के मलियाना के चंद्रलोक कॉलोनी निवासी 30 वर्षीय शिखा शर्मा ने सातवें प्रयास में पीसीएस की परीक्षा पास की है। पिछले सात सालों से लगातार पीसीएस की परीक्षा देते हुए उन्होंने हौसला नहीं छोड़ा। पिछली परीक्षा में एक नंबर से रह गईं। एक बार इंटरव्यू में भी पास नहीं हो पाईं। लेकिन उनके हौसलों के आगे मुश्किलों ने हार मान ली और उन्होंने संघर्ष के बावजूद पीसीएस की परीक्षा पास कर ली।
स्टांप वेंडर का बेटा अभिषेक बना नायब तहसीलदार
सीतापुर के कजियारा में रहने वाले अभिषेक त्रिपाठी का चयन नायब तहसीलदार के पद पर हुआ है। अभिषेक के पिता अरविंद कुमार त्रिपाठी स्टांप वेंडर हैं। अभिषेक बचपन से ही होनहार थे। एनआईटी जालंधर से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इसके बाद घर में ही तैयारी कर रहे थे। तीसरे प्रयास में उन्हें सफलता मिली है।
कोचिंग के पैसे तक नहीं थे मार्गदर्शिका से तैयारी की
अलीगढ़ की कुंजलता का चयन डिप्टी एसपी पद पर हुआ है। वह किसान परिवार से हैं। उन्होंने बताया, परिवार की स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि बाहर जाकर किसी कोचिंग से तैयारी कर सकूं। डीएस कॉलेज से गणित में परास्नातक करने के बाद सिविल सर्विसेज मार्गदर्शिका से जुड़कर मैंने तैयारी शुरू की।
दहेज के पैसे से पढ़ाई की जिद...अफसर बनीं
डिप्टी एसपी बनीं कीर्तिका सिंह ने एक नई मिसाल पेश की है। किसान परिवार की इस होनहार बेटी ने दूसरी शादी करने के बजाय इसके पैसे से पढ़ाई की और सफलता का यह मुकाम हासिल किया। रायबरेली के हरदोई गांव निवासी कीर्तिका का विवाह नवंबर, 2016 में हुआ था। पति दिल्ली के निजी कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर थे। शादी के एक हफ्ते बाद ही कुछ कारणों से संबंध विच्छेद हो गया। माता-पिता ने दूसरा विवाह कराना चाहा, लेकिन कीर्तिका ने यह कहते हुए इन्कार कर दिया कि जितना धन शादी में खर्च होगा, उतनी उनकी पढ़ाई-लिखाई पर लगा दें। कीर्तिका ने साबित कर दिया कि परिस्थितियां चाहे जैसी हों, हार नहीं माननी चाहिए।
इंटरव्यू से पहले खेत में पसीना बहा रहे थे, बो रहे थे आलू
नायब तहसीलदार बनने वाले अलीगढ़ के गांव सिल्ला विसावनपुर निवासी विश्वास दीक्षित का संघर्ष प्रेरणा से कम नहीं है। विश्वास दीक्षित ने अपनी पढ़ाई जारी रखने के साथ हमेशा खेती-बाड़ी में पिता का हाथ बंटाया। उनके पिता सतीश कुमार दीक्षित ने बताया कि इंटरव्यू देने जाने से पहले विश्वास ने खेतों में आलू की बुआई की। नतीजे के दिन भी खेतों में मक्का बो रहे थे। खेती-बाड़ी के साथ वह गांव के ही कॉलेज में अध्यापन कर परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। वर्ष 2019 में साक्षात्कार तक पहुंचने से मामूली अंकों से चूके विश्वास दीक्षित ने अपना आत्मविश्वास कभी कम नहीं होने दिया।
बीमारी के कारण छोड़ी सेना, मेहनत से बने जिला समाज कल्याण अफसर
मुजफ्फरनगर के गांव भौराकलां के किसान परिवार में जन्मे संदीप चौधरी का चयन जिला समाज कल्याण अधिकारी के पद पर हुआ है। संदीप चौधरी का वर्ष 2015 मे थल सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर चयन हुआ था। बीमारी के कारण नौकरी छोड़नी पड़ी थी। संदीप चौधरी ने यूपीपीसीएस परीक्षा मे बिना कोचिंग लिए सफलता का परचम लहराया है। उनका कहना है लक्ष्य निर्धारित कर कड़ी मेहनत से सफलता अवश्य मिलेगी।
वायुसेना से वीआरएस लेकर की तैयारी, पिता का सपना किया पूरा
नायब तहसीलदार बने आगरा के गांव बाद के सतेंद्र सिंह ने बताया कि बीएससी कर वायु सेना में सार्जेंट के पद पर तैनाती मिली। ये 2002 की बात है, पर पिताजी चाहते थे कि मैं अफसर बनूं। इसी बीच शादी हुई और 2013 तक पोस्टिंग के चलते तैयारी नहीं कर सका। पर 2014 में पिताजी के स्वर्गवास के बाद तो उनके सपने को पूरा करने की ठान ली। बीते साल अक्तूबर में वीआरएस लेकर घर आया और तैयारी में जुट गया। लक्ष्य आसानी से नहीं मिलते। तमाम परेशानियों से हार न मानकर युवाओं को सैनिक की तरह जज्बा दिखाना चाहिए।
थोड़ी सी जमीन से परिवार का पोषण
शाहजहांपुर के गांव रमापुर बझेड़ा गांव के किसान का बेटा सचिन नायब तहसीलदार बनेगा। सचिन ने बताया कि कई दुश्वारियों के बावजूद शिक्षा ग्रहण कर कामयाबी हासिल की है। थोड़ी सी जमीन पर खेती कर परिवार का पोषण होता है। कोचिंग जाने का मौका भी नहीं मिला। पर हिम्मत नहीं हारी।
गांव वाले कहते थे नहीं मिलेगी नौकरी
चरवा कस्बे के रहने वाले किसान परिवार के राजभूषण पांडेय सात भाई-बहनों में छठे नंबर पर हैं। बीएसएफ में असिस्टेंट कमांडेंट की नौकरी छोड़ दी और गांव चले आए। नौकरी छोड़ने के बाद लोग तरह-तरह के ताने मारते थे। कहते थे कि अब दूसरी नौकरी नहीं मिलेगी, लेकिन परिवार ने हौसला बढ़ाया।
लेखपाल के बेटे ने आत्मविश्वास से लहराया परचम
देवरिया में भलुअनी कस्बा के भगत सिंह डुमरी वार्ड निवासी और लेखपाल रामप्रीत के बड़े पुत्र आलोक कुमार कन्नौजिया डीएसपी बनेंगे। आलोक कन्नौजिया को चौथी बार में सफलता हाथ लगी है। वह कहते हैं असफलता से वे कभी निराश नहीं हुए। हर बार आत्मविश्वास के साथ नए सिरे से परीक्षा की तैयारी शुरू की।