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Karnataka Assembly Election 2023: 38 साल का ट्रेंड तोड़ पाएगी BJP या कांग्रेस करेगी सत्ता में वापसी, नतीजे कल
कर्नाटक में कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़े मुकाबले की भविष्यवाणी ज्यादातर एग्जिट पोल में की गई है। दोनों दलों के नेता नतीजों को लेकर घबराए हुए हैं जबकि जद (एस) त्रिशंकु जनादेश की स्थिति में किंगमेकर की भूमिका निभाने की उम्मीद कर रहा है।
बेंगलुरु, पीटीआई। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए 10 मई को वोट डाले गए थे। अब कल यानी 13 मई को वोटों की गिनती होगी। कांग्रेस, भाजपा, जद (एस) तीनों की नजर इस चुनाव परिणाम पर टिकी हुई है। भाजपा के सामने सत्ता बरकरार रखने की चुनौती है तो कांग्रेस वापसी करने को बेताबा है। वहीं, एग्जिट पोल में त्रिशंकु विधानसभा बनने की संभावना से जद (एस) भी काफी उत्साहित है। वह 'किंगमेकर' की भूमिका निभा सकती है।
बोम्मई, सिद्दरमैया और शिवकुमार की किस्मत का होगा फैसला
शीर्ष नेताओं भाजपा के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, कांग्रेस के दिग्गज सिद्धारमैया और डी के शिवकुमार और जद (एस) के एच डी कुमारस्वामी सहित कई अन्य नेताओं की चुनावी किस्मत का फैसला शनिवार को होगा। ज्यादातर एग्जिट पोल में कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़े मुकाबले की भविष्यवाणी की गई है।
सुबह आठ बजे से 36 केंद्रों में होगी मतगणना
मतगणना राज्य भर के 36 केंद्रों में सुबह 8 बजे शुरू होगी। चुनाव अधिकारियों को उम्मीद है कि परिणाम के बारे में एक स्पष्ट तस्वीर दोपहर तक सामने आ सकती है। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए राज्य भर में, विशेषकर मतगणना केंद्रों के अंदर और आसपास सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं। 224 सदस्यीय विधानसभा के प्रतिनिधियों को चुनने के लिए राज्य में 10 मई को रिकार्ड 73.19 प्रतिशत वोटिंग हुई थी।
38 साल का ट्रेंड तोड़ पाएगी भाजपा?
पीएम मोदी के सहारे सत्तारूढ़ भाजपा 38 साल पुराने चुनावी भ्रम को तोड़ने की कोशिश कर रही है, जहां लोगों ने सत्ता में आने वाली पार्टी को कभी भी वोट नहीं दिया है, जबकि कांग्रेस मनोबल बढ़ाने वाली जीत की उम्मीद कर रही है। यह भी देखा जाना बाकी है कि त्रिशंकु जनादेश की स्थिति में पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा के नेतृत्व वाली जद (एस) 'किंगमेकर' या 'किंग' के रूप में उभरेगी या नहीं।
पिछले दो दशकों से कर्नाटक में त्रिकोणीय मुकाबला देखा गया है, जिसमें अधिकांश निर्वाचन क्षेत्रों में तीनों पार्टियों के बीच सीधा मुकाबला था। दिल्ली और पंजाब की सत्ता में काबिज आम आदमी पार्टी (आप) ने भी अपने उम्मीदवार उतारे हैं। इसके अलावा कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में कुछ छोटे दल भी मैदान में हैं।
2018 में भाजपा ने जीती 104 सीटें
2018 में भाजपा 104 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। उसके बाद कांग्रेस 80 सीटें और जद (एस) 37 सीटें जीती थी। एक निर्दलीय उम्मीदवार को भी जीत मिली थी। बसपा और कर्नाटक प्रज्ञावंत जनता पार्टी (केपीजेपी) को एक-एक विधायक मिला था।
2018 के चुनावों में, कांग्रेस ने 38.04 प्रतिशत का वोट-शेयर हासिल किया, उसके बाद भाजपा (36.22 प्रतिशत) और जद (एस) (18.36 प्रतिशत) का स्थान रहा। उस समय किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने के कारण और कांग्रेस और जद (एस) गठबंधन बनाने की कोशिश कर रहे थे, भाजपा के बी एस येदियुरप्पा, जो कि सबसे बड़ी पार्टी थी, ने दावा किया और सरकार बनाई। हालांकि, विश्वास मत से पहले तीन दिनों के भीतर इसे भंग कर दिया गया था, क्योंकि भगवा पार्टी के मजबूत नेता आवश्यक संख्या जुटाने में असमर्थ थे।
14 महीने में गिरी कांग्रेस- जद (एस) सरकार
इसके बाद, कांग्रेस-जेडी (एस) गठबंधन ने कुमारस्वामी के साथ मिलकर सरकार बनाई, लेकिन 14 महीने में 17 सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों के इस्तीफे और भाजपा में उनके दल-बदल के कारण सरकार गिर गई और भाजपा की सत्ता में वापसी हुई। इसके बाद 2019 में हुए उपचुनावों में सत्ताधारी पार्टी ने 15 में से 12 सीटें जीतीं।
विधानसभा में भाजपा के 116 विधायक
निवर्तमान विधानसभा में सत्तारूढ़ भाजपा के पास 116 विधायक हैं। उसके बाद कांग्रेस के 69, जद (एस) के 29, बसपा के एक और निर्दलीय दो विधायक हैं। इसके अलावा, छह सीटें खाली हैं। ये सीटें किसी विधायक की मौत या उनके द्वारा किसी दूसरी पार्टी में शामिल होने के लिए इस्तीफा देने से खााली हुई हैं।